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Showing posts from June, 2020

English Poem, Little moon

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Little moon O beautiful little moon! Come join to us. Today is my birthday, Let's ride on the bus.  We Shall go to Auli, To see the soft snow. There are beautiful mountains, Do you know?  It is very cold weather, Bring two-three coats. On the way we shall see, Rivers, sheep and goats.  There we shall play with snow, I shall make a white moon. I want to know your size, Please come down soon. Copyright © Satish Rawat 29/05/2020 Tags for Poems, English, Children -  अंग्रेजी बाल कविता, अंग्रेजी कविताएं, English Poems, नना नौना-नौन्यूं खुण अंग्रेजी कविता, अंग्रेजी बाल कविताएं, बच्चों के लिए अंग्रेजी कविताएं, English Poems for Children, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, नना नौना-नौन्यूं खुण सतीश रावत कि अंग्रेजी कविता, सतीश रावत की अंग्रेजी बाल कविताएं, सतीश रावत की बच्चों के लिए अंग्रेजी कविताएं, English Poems of Satish Rawat for Children, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उ

गढ़वळि कविता, -42-, भौत बड़ु छ अगास, सतीश रावत

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-42- भौत बड़ु छ अगास तु ढुँगु छै, पर ढुँगु नि छै तु ढुँगु होंदी त मीन अछेकी लगाण छा छ्वीं त्वेम अपणा सुख-दुख की अर अछेकी सुणण छा त्वेन टक लगैकि लोग डरदा छन ये भ्याळ आण मा कि कुजाण कब यु धार मा धर्यूं भरि-भरी पोड़ घिलमुंडि खैकि लमडि जा पर मीन देखि तु सदानी इनी शांत अर गम्भीर म्यारु मन छै तु मि जब भि त्वे मा बैठदु त मि हर्चि जाँदु तौळ मी तैं भरि-भरी भ्याळ दिखेंद मथि साफ-सुथरु नीलु अगास सबि तरफ़ ऊँची डाँडि-काँठि हरि-भरि डाळि-बोटि मुंडळि हिलाँदि हैरि धास बनि-बनिका फूल रंगमत म्वारा डाळ्यूँ भटी चूँदा फल जोर-जोर से च्वींचाँदा चखुला हँसदा-ख्यलदा खरगोश गदन बौगद हैरु पाणि अर मिठु-मिठु छाळु घाम मि उड़णू हि राँदु प्रकृति दगड़ अर तु झक्वळदि छै मीतैं कि- उठ! अब अबेर ह्वे ग्या सीण दे दुन्या तैं क्य ह्वा अगर दुन्या से ग्या? यु जु एक कतर दिखेणू नीलु अगास यु इत्गै नी छ, जित्गा तु दिखणी छै यु अगास छ भौत बड़ु उठ जा! अब ये अगास देखिकि आदी जन सेळि तेरि जिकुड़ि मा पुड़णी छ उनि एहसास दुन्या तैं भि करादि मि सुचदु छौं- कित्गा ख्याल रखदि तु म्यारु कित्गा अड़ाणी रैंद

गढ़वळि कविता, -43-, खतम इंतजार, सतीश रावत

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-43- खतम इंतजार फुळे गेन अगास मा रंग डाँडि-काँठि बण गेन नारंगी उचि धारैऽ मुंडळि मा ताँबैऽ गागर-सि हिलणू सूरज छळकेणू सूनौऽ पाणि रुझणी छन जिकुड़ि खुश आँख्यूँ कि मुखड़ि सरमाणी रुमुक रौंतेलु मुलुक सूर्य अस्त खतम इंतजार. Copyright © सतीश रावत 31/01/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक, Garhwali Literature Writers, गढ़वळि कवि, गढ़वाली कवि, Garhwali Poets, गढ़वळि लेखक, गढ़वाली लेखक, Garhwali Writers, गढ़वळि भाषा, गढ़वाली भाषा, Garhwali Language, 

गढ़वळि कविता, -44-, अहसास, सतीश रावत

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-44- अहसास कुतुब मीनाराऽ टुकु बैठयूँ छ कबूतर वु दिखेंदु त नी छ पर वेका हूणौ अहसास होंद. वु दिखणू छ ताळ बिरऽळौं तैं बिरऽळा दिखेणा त नि छन पर वूँका हूणौ अहसास होंद. वु दिखणू अगास मा गरूड़ूँ का गुट गरूड़ दिखेणा त नि छन पर वूँका हूणौ अहसास होंद. वु अटक्यूँ छ बीच मा त्रिशंकु कि तराँ वु नि दिखण चाणू कुछ भि अर बूज दींद आँखा अब हवा मा उडणा छन वेका पंखूड़ मथि दिखणा छन बिरऽळा ताळ दिखणा छन गरूड़ दिखेंदु त कुछ बि नी छ पर सब अहसास होंद. Copyright © सतीश रावत 31/01/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature

गढ़वळि कविता, -45-, मनखि जनम, सतीश रावत

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-45- मनखि जनम  भौत तपस्या बाद मिल्द मनखि जनम मनखि कऽ भितर छ मन मन कऽ भितर भि मन फिर मन कऽ भितर मन अर मन कऽ भितर मन. भौत मन छन मनखि का कबि दिखेंदु क्वी मन त कबि क्वी मन गिनती कि तराँ अनगिनत मन अंतरिक्ष कि तराँ अनन्त मन खतम हि नि होंदन यु मन. मनखि चुप बैठ्यूँ छ मन खुज्याणू छ मन मन कऽ कई छिल्कौं पुटुग घुन्डा बोटी सियूँ छ मन भौत तपस्या बाद मिल्द मनखि जनम. Copyright © सतीश रावत 02/02/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक, Garhwali Literature Write

गढ़वळि कविता, -46-, जीवन अर शब्द, सतीश रावत

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-46- जीवन अर शब्द  जीवन क्या छ ? शब्दूँ कु मायाजाळ छ. शब्द, कभि बिंगण मा अँदिन पर पछ्यण मा नि अँदिन अर कभि पछ्यण मा अँदिन पर बिंगण मा नि अँदिन कभि कित्गा सरल अर कभि कित्गा कठिन ह्वे जँदिन कभि कित्गा बोलीऽ भि चुप रँदिन अर कभि चुप रैकि भि कित्गा बोल जँदिन कभि कठा ह्वेकि जीवनै माळा का फूल बण जँदिन कभि माळा कु धागु बणी जीवन गँठे जँदिन सुचणा रा, डुबणा रा; गैरा, गैरा अर गैरा हूँणा रँदिन भगवान जी का दर्शन करँदिन जीवन का आधार शब्द कभि अफी जीवन बण जँदिन. Copyright © सतीश रावत 11/02/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि,

गढ़वळि कविता, -47-, छैल, सतीश रावत

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-47- छैल छैल मा नि दिख्याँद छैल घाम मा चट दिख्याँद छैल मनखीऽ छैल देखी कुकुरूँ कु पड़ि जाँद किकलाट भुकुण बैठ जँदिन रस्ता रुकुण बैठ जँदिन दौड़ऽण बैठ जँदिन छैलाऽ पिछना छैल तैं पकऽड़दिन, बिल्कदिन, धध्वड़दिन खूनऽल रंग दिंदिन वे तैं पीण बैठ जँदिन वेकु ल्वे चबाण बैठ जँदिन वेकि लुत्गि लुँचुण बैठ जँदिन वेकि हड्गि छैल हर्चि जाँद कुकुर खुश ह्वे जँदिन खून खैकि पागल ह्वे जँदिन अर अपणु हि छैल देखी रिंगण बैठ जँदिन चखुला जोर-जोर से च्वींच्याण बैठ जँदिन घाम अछे जाँद चखुला अपणा घोलूँ मा से जँदिन मनखि अपणा घौर चल जाँद. Copyright © सतीश रावत 13/02/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य,

गढ़वळि कविता, -48-, सोच, सतीश रावत

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-48- सोच जीवन क्या छ! जु चलणू छ, क्य वी जीवन छ? य याँका पिछना जु दिखेणू नी छ, वु जीवन छ? बिजी आँख्यूँन जब दिखेंद संसार, क्य वी जीवन छ? य जब द्वी घड़ि से कि दूर ह्वे जँद्वा संसार से, वु जीवन छ? जु छैं छ वु जीवन छ? य जु छैं ही नी छ, वु जीवन छ? य जीवन कुछ हौरी-हौर छ? बतावा न भगवान जी! जीवन क्या छ? कभि सीधि रेखा-सि अनन्त तक विस्तार छ, कभि अळझ्या धागा-सि क्वी ओर-न-छोर छ, कभि सरल, कभि कठिन, कभि एक रहस्य छ बतावा न ठाकुर जी! जीवन क्या छ? मन कि सोच य दिमाग कि सोच छ? यूँ द्वियूँ कु मिलन सुन्दर संजोग छ बतावा न भगवान ठाकुर जी! क्य यु ही जीवन छ? Copyright © सतीश रावत 05/03/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, In

गढ़वळि कविता, -49-, सूनि गरूड़, सतीश रावत

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-49- सूनि गरूड़ दूर अगास मा रिटणा छन गरूड़ तौळ ऊँचि-निसि डाँडि-काँठ्यूँ मा ख्यलणा छन चखुला बनि-बनि का खेल दिखणा छन सुपिन्या हूणि-खाणि का बिन्डि छन चखुला, जरा छन गरूड़ लमडणा छन भ्याळ उंद बनि-बनि का सुपिन्या मौज मनाणा छन म्वाटा गरूड़ डाँडि-काँठि बि हकबक रै गेन गरूड़ उपऽड़णा छन ऊँका कँदूड़ चखुलौं कु च्वींच्याट मचि ग्या कठा ह्वे गेन सबि गरूड़ कौंपि ग्या क्याळै डाळि नीला अगास मा दिखे ग्या सूनि गरूड़. Copyright © सतीश रावत 25/03/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वा

गढ़वळि कविता, -50-, कुंगळु बचपन, सतीश रावत

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-50- कुंगळु बचपन पार्क मा सयऽणौं तैं घुमणौ हैरु दुबलु चयेणू छ नना नौना बाळौं तैं खिलणौ मैदान चयेणू छ माटाल भुरेण से बचण चाणी छ दिखावटी दुनिया खुटौंऽ ताळ कुंगळु बचपन कुरचेणू छ. Copyright © सतीश रावत 15/04/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक, Garhwali Literature Writers, गढ़वळि कवि, गढ़वाली कवि, Garhwali Poets, गढ़वळि लेखक, गढ़वाली लेखक, Garhwali Writers, गढ़वळि भाषा, गढ़वाली भाषा, Garhwali Language, 

गढ़वळि कविता, -51-, हैंकु ग्रह, सतीश रावत

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-51- हैंकु ग्रह   दूर अगास मा उडणू छ उडन खटोला वेका पुटुग बैठ्यूँ छ कुकड़ु वु दिखणू छ ताळ वे तैं दिखेणा छन एक-दुसरै टंगड़ि खिंचदा कीड़ा-मक्वड़ा वु दिखण चाणू छ कुछ और वु अपणा आँखा झपकाँद अर बार-बार झपकाँद पर वे तैं वु नि दिख्याँद जु वेकु मन दिखण चाँद वु थक ग्या भौत लग ग्या भारि भूख पर वे तैं लगणी छ घीण कीड़ा-मक्वड़ौं देखीऽ वु ताळ नि आण चाणू छ उडन खटोला मथि, मथि और मथि उडदा जाणू छ अब वु हैंका ग्रह मा सुंदर जीवन खुज्याणू छ. Copyright © सतीश रावत 17/06/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets

गढ़वळि कविता, -52-, स्वाणु संसार, सतीश रावत

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-52- स्वाणु संसार क्वारा कागज पर नना नौना-बाळा खींच देंदन— रिखड़ा इना रिखड़ा जु दुनियाऽ बिंगण मा नि आँदन या दुनिया बिंगण हि नि चाँद दुनिया रिखड़ा खींची बाँट दींद दुनिया तैं अर कुंगळा हथ बनि-बनी रिखड़ौं तैं राळीऽ बणै देंदन एक स्वाणु संसार. Copyright © सतीश रावत 21/09/2018 Tags for Poems, Garhwali -   गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक, Garhwali Literature Writers, गढ़वळि कवि, गढ़वाली कवि, Garhwali Poets, गढ़वळि लेखक, गढ़वाली लेखक, Garhwali Writers, गढ़वळि भाषा, गढ़वाली भाषा, Garhwali

गढ़वळि कविता, -53-, तुम ढुँगा नि छाँ, सतीश रावत, 24/09/2018

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-53- तुम ढुँगा नि छाँ अछेकी ! तुम ढुँगा छाँ ? न, न तुम कतै ढुँगा नि छाँ ! तुमऽरा पुटुग कखि-न-कखिम जरूर होलि एक कुँगळि जिकुड़ि ज्याँकु धकध्याट तुम लुकाणा छाँ शायद अफु से भि तुम दिलाण चाणा छाँ अहसास कि तुम ढुँगा छाँ पाषाण युग तैं आधुनिक युग से तुमऽन हि त ज्वाड़ नथऽर कु नि जणदु कि कैल कै तैं नि त्वाड़ तुम हि तऽ हिमालय का गैंणा छाँ कैरन बणी तुम हि तऽ बतंद्या रस्ता डाँडि-काँठ्यूँ का पैदल यात्र्यूँ तैं पोड़ाऽ मथि धर्यां पाँच ढुँगौं तुम कित्गा स्वाणा, कित्गा सजीव छाँ तुम  ढुँगा छाँ पर, ढुँगा नि छाँ. Copyright © सतीश रावत 24/09/2018 Tags for Poems, Garhwali -  गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali L

गढ़वळि कविता, -54-, लोखर, सतीश रावत, 06/12/2018

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-54-  लोखर   लोखर पिघळ जाँद—  वेका लोखर-सा हथूं तैं देखीऽ, रीति आँख्यूँ तैं देखीऽ, बग्दा पसीना तैं देखीऽ. लोखर बण जाँद—  वेकु कुंगळु मन  अर ढळ जाँद वेका हि अनुसार. कम अंक्ये जाँद जब वेकि मेहनत  तब लोखरौऽ, लोखर से होंद साक्षात्कार.  Copyright © सतीश रावत  06/12/2018  Tags for Poems, Garhwali -  गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत कि गढ़वळि कविता, सतीश रावत की गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक, Garhwali Literature Writers, गढ़वळि कवि, गढ़वाली कवि, Garhwali Poets, गढ़वळि लेखक, गढ़वाली लेखक, Garhwali Writers, गढ़वळि भाषा, गढ़वाली भ

गढ़वळि कविता, -55-, मैंगु सेकेंड, सतीश रावत, 31/12/2018

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-55- मैंगु सेकेंड कबि सर्या साल रैंद कबि सर्या मैना रैंद कबि सर्या दिन रैंद कबि सर्या घंटा रैंद कबि सर्या मिनट रैंद अर कबि सालाऽ कुछ सेकेंड रंदिन हम दगड़ जु हम निपटै देंदा वु हमारु ह्वे जाँद भ्वाळ फरौ अगना रड़कि जाँद झणि कब सालौ वु मैंगु सेकेंड भि बीत जाँद फिर एक नयु साल एक सर्या साल हमतैं एक नयु अवसर दे जाँद. Copyright © सतीश रावत 31/12/2018 Tags for Poems, Garhwali -  गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक, Garhwali Literature Writers, गढ़वळि कवि, गढ़वाली कवि, Garhwali Poets, गढ़वळि लेखक, गढ़वाली लेखक, Garhwali Writers, गढ़वळि भाषा, गढ़वाली भाषा, Garhwali Language, 

गढ़वळि कविता, -56-, लाल बत्ति, सतीश रावत, 10/01/2019

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-56- लाल बत्ति गाड़्यूं का तेज घुमदा टैर  हॉर्नूं कि ऐड़ांदि आवाज़  आँख्यूं तैं दुखांदु, जिकुड़ि तैं कौंपांदु, शरीर तैं उज्यांदु— प्रदूषण  दौड़ा-दौड़  अगना बढ़णै होड़   क्वी अगना सरकणू  क्वी पिछना भगणू  कुज्याण कख जाणी होलि? कित्गा तेज दौड़णी— जिंदगी  कभि जिंदगी, गाड़ि बण जांद  अर कभि गाड़ि बण जांद, जिंदगी  कभि सड़क मा कळकळि लगद  अर कभि खुंखरि पळ्ये कि तैयार रैंद मनखि  कभि ढुंगा भि बण जंदिन खूबसूरत ताजमहल  अर कभि मनखि बण जंदिन— ढुंगा  गाड़ीऽ खिड़कि भटी ताळ पोड़ जांद  ननि नौनीऽ गुड़िया  पिछना भटी तेज रफ्तार मा आंदि गाड़ि  पतेड़ देंदिन वींकि गुड़ियऽ तैं  ट्रैफिक चलणू रांद  ननि गुड़िया गाड़ी खिड़कि भटी भैर पिछना देखीऽ  अपणि गुड़िया तैं खुज्यांद  दुनिया अगना बढ़णी रांद  क्वी नि रुकदु  क्वी लाल बत्ति होणो इंतजार करद  अर क्वी लंघै जांद— लाल बत्ति. Copyright © सतीश रावत  10/01/2019 Tags for Poems, Garhwali -  गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश राव

गढ़वळि कविता, -57-, छपछऽपि फटऽळि, सतीश रावत, 13/01/2019

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-57- छपछऽपि फटऽळि ढक्यां दरवजौंऽ भितऽर रैंदु छ अभि बि क्वी यु "क्वी" क्वी भि ह्वे सकऽद शायद सुपन्या, खुद या अंध्यऽरु अर भौत कुछ और भि ह्वे सकऽद जु गुड़्यूं छ वर्षूं भटी यूं ऊबऽरा-पांडौ मा फांस खंया-सि सुपन्या लटक्यां छन दरवजौं पर यूं सुपन्यों कि चाबि हर्चि गेन चाब्यूं कि दुनिया मा यु "क्वी" आण चाणा छन भैर दिखऽण चाणा छन— चाँदीऽ डांडि-कांठ्यूं मा सूनाऽ सूरजौऽ आण बच्याण चाणा छन— गोर-बछरौं, चखुला-पुतळौं, फूल-डाळ्यूं दगऽड़ नयेण  चाणा छन— कौंपदा गाड-गदनौं, छुंया, धारा-पंदेरौं का तौळ चौकाऽ तीर बैठीऽ तपण चाणा छन घाम जीण चाणा छन घामौऽ अछ्यांण खिलऽण चाणा छन रुमुक दगऽड़ पीण चाणा छन जून-गैंणौं कु रूप पर यूंका दगड़्या यु ढक्यां दरवजा मजबूर छन यु बिंंगदा त सब छन पर यूं मा क्वी हलचल नि होंदि यु देख सकदन भितऽर अर भैर भि यु दरवऽजा जु दिखेणा छन अवरोधक वास्तव मा यु ही त करंदन भैर अर भितरौ मेल भैरै पाळि भितऽर तैं जीण सिखांद अर भितऽरै पाळि दुःख-दर्द भैर लांद पर य पिड़ा कैतैं नि दिख्यांद झूरि लगीऽ कतगै कड़ि-द्वार टुट गेन कई पाल पोड गेन कई सुपन्या,

गढ़वळि कविता, -58-, समुद्र, सतीश रावत, 18/12/2019

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-58- समुद्र घड़ि-घड़ि बदलणू छ पाणि अपणु रंग, अपणु रूप बण जाणू छ - कबि धरती, कबि अगास अर कबि हवा. समुद्र जाणि कि रिंगणा छन सबि पाणि का जाहज, छुटा-बड़ा बनि-बनि का जाहज. बड़ा जाहज भिभरै कि जाणा छन; अर छुटा जाहज खर्वड़णौ खुण जलड़ा खुज्याणा छन . सबि समुद्र मा समाणू छ दम घुटेणू छ समुद्र कु अर वु ऑक्सीजन खुज्याणू छ वु बण चाणू छ छाळु पाणि. Copyright © सतीश रावत 18/12/2019 Tags for Poems, Garhwali -  गढ़वळि कविता, -58-, समुद्र, सतीश रावत, 18/12/2019, गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक, Garhwali Literature Writers, गढ़वळि कवि, गढ़वाली कवि, Garhwali Poets, गढ़वळि लेखक, गढ़वाली लेखक

गढ़वळि कविता, -59-, दिल, सतीश रावत, 27/12/2019

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-59- दिल घाम तपणा छन लय्या का फूल धकध्याट करणू छ यूँका भितर मनखि कु दिल यु हँसणा छन हाथ हिलाणा छन अर बंटण चाणा छन— अपणु अहसास. मनखि का भितर गुड़्यूँ दिल आण चाणू छ भैर छूण चाणू छ— फूलूँ कु दिल. पिंगळा फूल हैरि खुशबू बाँटी मनखि का दिल कु स्वागत करणा छन अर मनखि आपणा दिल खुण आँखा घुर्याणू छ. Copyright © सतीश रावत 27/12/2019 Tags for Poems, Garhwali -  गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक, Garhwali Literature Writers, गढ़वळि कवि, गढ़वाली कवि, Garhwali Poets, गढ़वळि लेखक, गढ़वाली लेखक, Garhwali Writers, गढ़वळि भाषा, गढ़वाली भाषा, Garhwali Language, 

गढ़वळि कविता, -60-, दिल अर दिमाग, सतीश रावत, 28/12/2019

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-60- दिल अर दिमाग दिल तैं दिखेणू छ - सूरज पूरव भटी आँदा अर पश्चिम मा समाँदा. दिल तैं दिखेणा छन - कैकि खोज मा कुंगळा अगास मा डबख-डबखी जून कि खुट्यूँ मा पुड्याँ छाळा. दिल तैं दिखेणू छ - तपदा रेगिस्तान मा दूर पाणि. दिल तैं वु सब कुछ दिखेणू छ - जु शायद छैंं ही नी छ य वाँ तैं सिर्फ दिल ही देख सकद. आँखि हर्बि उंगणी छन अर हर्बि पुर्याणी छन हुंगरा; कंदूड़ूँ पुटुग रुवाँ गुंडा डाळि कि फसोरी सियूँ छ दिमाग. Copyright © सतीश रावत 28/12/2019 Tags for Poems, Garhwali -  गढ़वळि कविता, -60-, दिल अर दिमाग, Copyright © सतीश रावत, 28/12/2019, गढ़वळि कविता, गढ़वाली कविताएं, Garhwali Poems, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, भारत, Satish Rawat, Nauriyal Gaon, Kapholsyun, Pauri Garhwal, Uttarakhand, India, गढ़वळि साहित्य, गढ़वाली साहित्य, Garhwali Literature, गढ़वळि साहित्य कवि, गढ़वळि साहित्य कवि, Garhwali Literature Poets, गढ़वळि साहित्य लेखक, गढ़वाली साहित्य लेखक,

गढ़वळि कविता, -1-, हैंसु या रूँ, सतीश रावत, 07/01/2003

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हैंसु या रूँ त्यारा जन्म पर मि हैंसु या रूँ ? मि खुश हूँ या दुखी ? मि समझ नि सकणू छौं हे बाळा, छुटा छौंना ! किलै हँसणी छै ? किलै गाणी छै ? किलै नचणी छै ? तिन क्या जणण जु हाथ त्वेथै इत्गा प्यार करणा छन ; वूँन त्वे थै खूब संतण-पळण , खूब खलाण-पिलाण अर खूब प्यार भि करऽण पर , तिन वूँकु प्यार नि समऽझ सकण, अर एक दिन ऊँई हाथूँन त्यारू ल्वेबुळ चखण. Copyright © सतीश रावत 07/01/2003

हिंदी बाल कविता, -1-, अब उठ जाओ, सतीश रावत, 16/03/2001

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-1- अब उठ जाओ प्यारी-प्यारी चिड़िया आओ गाकर मीठा राग सुनाओ. देखो तो सूरज की लाली नाच रही किरणें मतवाली. सुंदर-सुंदर फूल खिले हैं देखो, कितने हिले-मिले हैं. भौंरे गूँ-गूँ गुंजन करते पर देखो तो मुझसे डरते. सुंदर शीतल हवा सुहानी नाना खुशबू लाती रानी. हरे-हरे पौधे मुस्काते देखो तो सब मिलकर गाते. कितना सुंदर स्वर्ण-सवेरा पल भर का है इसका डेरा. प्यारे भैया ! अब उठ जाओ इस प्यारे क्षण को यूँ न गँवाओ. Copyright © सतीश रावत 16/03/2001 Tags for Poems, Hindi, Children -  हिंदी बाल कविता, -1-, अब उठ जाओ, Copyright © सतीश रावत, 16/03/2001, हिंदि कविता, हिंदी कविताएं, Hindi Poems, नना नौना-नौन्यूं खुण हिंदि कविता, हिंदी बाल कविताएं, बच्चों के लिए हिंदी कविताएं, Hindi Poems for Children, सतीश रावत, Satish Rawat, सतीश रावत कि कविता, सतीश रावत की कविताएं, Poems of Satish Rawat, नना नौना-नौन्यूं खुण सतीश रावत कि हिंदि कविता, सतीश रावत की हिंदी बाल कविताएं, सतीश रावत की बच्चों के लिए हिंदी कविताएं, Hindi Poems of Satish Rawat for Children, सतीश रावत, नौड़ियाल गाँव, कफोलस्